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शिक्षक प्रशिक्षण में नवाचार : नयापन और नवीनता | Original Article

प्रिंस जैन श्रीमती डॉली जैन in Shodhaytan (RNTUJ-STN) | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

शिक्षा में नवाचार या नवाचारी शिक्षा कोई नई अवधारणा नहीं है। बस, वर्तमान शिक्षण विधियों और पढ़ाने के तरीकों में कुछ नयापन और नवीनता का समावेश करके हम अपने विद्यार्थियों के कौशल में कुछ विकास कर सकते है। वास्तव में शिक्षा का अर्थ ही व्यक्तित्व का सर्वागींण विकास है। किताबी ज्ञान के अलावा विद्यार्थियों के व्यक्तित्व का सकारात्मक विकास करना भी शिक्षक की जिम्मेदारी होती है। अपनें लक्ष्यों को प्राप्त करनें के लिये पंरपरागत तरीकों के अलावा ऐसे नये तरीके भी खोजे जा सकते है, जो विद्यार्थियों की प्रतिभा की पहचार करने में सक्षम हों। और ऐसे कुछ नये कार्य नवाचार की श्रेणी में आ सकते है। नई चीजें किसे अच्छी नहीं लगतीं अगर विद्यार्थियों को नई और रूचिकर विधियों से अध्यापन कराया जाये, तो उनमें न केवल पढ़ाई के प्रति लगन पैदा होती है, बल्कि वह जल्दी भी सीखतें है। एक अच्छा शिक्षक वह होता है, जों बाल मनोविज्ञान का अच्छा ज्ञाता भी हो। समुदाय शिक्षक, समुदाय बालक और पालक ये सभी मिलकर किसी विद्यालय के बातावरण का निर्माण करते है। अच्छी शिक्षा के लिये शिक्षक समुदाय विद्यार्थियों और पालकों के बीच अच्छे सामंजस्य की आवश्यकता होती है। एक सफल संस्था प्रमुख स्वंय कितना काम करता है, इससे कहीं अधिक महत्वपूर्ण यह होता है कि वह अपने सहकर्मियों से कितना और कैसा काम लेता है। मानवीय साधनों के कुशल उपयोग से शैक्षिक उद्देश्यों की प्राप्ति में चमत्कारी उपलब्धियों प्राप्त की जा सकती है। प्रस्तुत शोध पत्र में इस विषयक शिक्षण प्रशिक्षण में नवाचार में नयापन और नवीनता को प्रतिपादित किया गया है।