Article Details

हिन्दी के विभीन्न रूप : महत्व विवेचन | Original Article

शमीना खान डॉ. रामचन्द्र मालवीय in Shodhaytan (RNTUJ-STN) | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

हिन्दी हमारी शब्दभाषा के रूप में पूरे भारत में प्रचलित एवं मान्य भाषा है | देश स्वतंत्र होते ही राष्ट्र भाषा के रूप में हिन्दी को हमने अपनाया है | हिन्दी भाषा पूरे भारत और भारत के सविधान की “जान मान और शान है”, मानो एक प्रकार से हिन्दी पूरे भारत का दिल है | यह भारत का गौरव है, हिन्दी भाषा का विकास देश का विकास है आज हिन्दी के नियम मान्यताओं से प्रमाणित है व महान् देश के अनेक कवि और सरकारों ने हिन्दी भाषा को सर्वप्रथम प्राथमिकता दी और इसे अपनाया | हिन्दी साहित्य में आज तक हिन्दी कवि सूरदास, बिहारी, प्रेमचन्द, अज्ञेय, डॉ. रामचन्द्र शुक्ल, माखनलाल चतुर्वेदी, सुमित्रानंन्दन पंत, सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला, धर्मवीर भारती आदि कवियों ने हिन्दी भाषा को अपनाया और प्रचार-प्रसार किया है |  “महान् कवियों ने हिन्दी भाषा को अपना राष्ट्र रुपी धर्म कर्तव्य माना है और इसी हिन्दी भाषा से अपनी कहानी, उपन्यास, गद्य-पद्य, काव्य, विद्या सागर, साहित्य सागर का विकास किया है |  यह इस बात का सूचक है कि हिन्दी भाषा द्वारा जागरूकता भाव उत्पन्न होता है |