महिलाओं के मानसिक रोग में योग का प्रभाव | Original Article
मानसिक स्वास्थ्य अत्यंत महत्वपूर्ण एवं आवष्यक है, यह वैष्विक स्तर पर स्वस्थ शरीर का परिचायक माना जाता है। मानसिक स्वास्थ्य शरीर की स्वस्थता से कहीं अधिक अवष्यक है। मानसिक स्वास्थ्य साधारणतः समाजिक व्यवहारों में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करता है। विचारों के आदान-प्रदान, भीतरी भावनाओं, धारणाओं, पारिवार में आचरण, मर्यादाओं तथा व्यवहारिक संयोजन के नियंत्रण का प्रतिनिधित्व करता है। मानसिक रोग अत्यंत गंम्भीरतम समस्या है, तथा अनेक रोगों की जननी है । योगानुसार यह वृत्ति की क्लिष्ट अवस्था है, जो मन के भीतर क्लिष्टता का विस्तार करती है। अपेक्षायें, आकॉक्षायें, वासनाओं की वर्जनायें, इच्छायें तथा कार्य पूर्ण न होने की दषा में तनाव का मूल कारण बन जाती है। मानसिक रोगों की प्रक्रिया इतनी सूक्ष्म और जीवन की गहरी जड़ों तक समायी रहती है, कि इसके विकास की गति और निवारण की प्रक्रियायें, विज्ञान के लिये अभी तक रहस्यात्मक प्रतीत होती हैं। यह योग-आसन, प्राणायाम, तथा षिथलीकरण से मानसिक स्वास्थ्य प्रबंधन की सक्षमता का अध्ययन है। पारिवारिक वातावरण, वैवाहिक जीवन संबंधी तथा शारीरिक स्थिति के आधार पर, मानसिक रोग निदान का उद्वेष्य लेकर, महिलाओं में चिन्ता, तनाव, निराषा आदि की विभिन्न समस्याओं से निपटने के लिये, योगिक अवधारणाओं के परीक्षण की जिज्ञासा का कारण लेकर, स्वनिर्मित 40 बिन्दुओं की पूर्व एवं पश्च, प्रष्नावली के माध्यम से, भोपाल क्षेत्र की 20 महिलाओ का चयन कर, योगाश्री संस्था भोपाल में योगाभयास तथा सहायक अवदानों का उपयोग करते हुये एक माह का अध्ययन किया गया। अध्ययन से संज्ञानित है कि, कुषलतम प्रयास आत्मविष्वास में वृद्वि हेतु सहायक हैं।