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तेंदूपत्ता संग्रहण कार्य में संलग्न पक्षों की आर्थिक स्थितियों का मूल्यांकन “छिन्दवाड़ा जिले की तामिया एवं सौंसर तहसील के विशेष सन्दर्भ में” | Original Article

मुकेश कुमार उसरेठे in Shodhaytan (RNTUJ-STN) | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

म.प्र. में शासकीय तेंदूपत्ता नीति के आर्थिक क्रियान्वयन का विश्लेषनात्मक अध्ययन के अंतर्गत तामिया एवं सौंसर तहसील के विशेष संदर्भ में शोध करके इस निष्कर्ष पर पहुॅचा गया है कि तेंदूपत्ता संग्रहण के पूर्व ग्रामीण आदिवासियों वनवासियों एवं जनजाति के लोगों की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय थी एवं उन्हें वर्ष में केवल कुछ माह ही कृषि कार्य में रोजगार मिल पाता था और वह भी अनियमित रूप से था। तथा कृषि के अतिरिक्त ग्रामीण परिवारों की आर्थिक आय का कोई और साधन नहीं था। एवं सम्पूर्ण परिवार में से केवल 1 या दो व्यक्ति को ही कृषि कार्य में मजदूरी मिल पाती थी और वह भी अनियमित रूप से। समृद्ध किसान इन मजदूरों को केवल कृषि में कार्य के समय बुला लिया करते थे एवं उसी समय का मजदूरी भुगतान किया करते थे। शेष समय के मजदूर बेजरोजगार बैठे रहते थे। किन्तु तेन्दूपत्ता संग्रहण के पश्चात् इन मजदूरों को कृषि के अतिरिक्त रोजगार मिलने लगा। एवं जब वे खाली समय घरों में बैठे रहते थे। उस समय इनको तेन्दूपत्ता तोड़ने का काम प्राप्त होने लगा। एवं इस कार्य से इनको शासन द्वारा पर्याप्त मात्रा में मजदूरी का भुगतान किया जाने लगा जिससे इनकी जीवन निर्वाह हेतु पर्याप्त आमदनी होने लगी। निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि तेन्दूपत्ता संग्रहण के कार्य से ग्रामीण आदिवासियों वनवासी एवं अनु.जाति तथा जनजाति के लोगों की आर्थिक स्थिति सक्षम एवं मजबूत हुई है।