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मध्य प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में शैक्षिक गुणवत्ता अभिवृद्धि में शाला प्रबंधन समिति की भूमिका का SWOT विश्लेषण | Original Article

अनिल प्रकाश श्रीवास्तव शिरीष पल सिंह एन सी ओझा in Shodhaytan (RNTUJ-STN) | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

बच्चों की शिक्षा में उनके माता पिता और समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसी को दृष्टिगत रखते हुए निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा-21 के अंतर्गत शाला प्रबंधन में पालकों और समुदाय की सहभागिता को सुनिश्चित करने के लिये प्रत्येक शासकीय विद्यालय और अनुदान प्राप्त विद्यालय में शाला प्रबंधन समिति का गठन किया गया है। निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अन्तर्गत विद्यालय प्रबंधन और शैक्षिक गुणवत्ता की अभिवृद्धि के लिये विद्यालय की मानिटरिंग करना, विद्यालय विकास योजना का निर्माण और उसकी संस्तुति करना तथा विद्यालय विकास के लिए प्राप्त राशियों के सही सही उपयोग की निगरानी करना जैसे शाला प्रबंधन समिति के प्रमुख उत्तरदायित्व निर्धारित किये गये है। प्रस्तुत शोध के माध्यम से शाला प्रबंधन समितियों द्वारा विद्यालय की प्रगति, पठन पाठन प्रक्रिया की निगरानी और उत्तरदायित्वों के निर्वहन का SWOT (सबल पक्ष, कमजोरियां, कार्य करने के बेहतर अवसर तथा कठिनाईयां-चुनौतियां) विश्लेषण किया गया। इस शोध में SWOT विश्लेषण करने के लिए प्रदेश के 9 जिलों के शहरी, अर्द्ध-शहरी और ग्रामीण क्षे़त्रों के साथ साथ जनसंख्या की दृष्टि से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और सामान्य जनसंख्या वाले क्षे़त्रों में स्थित 81 शासकीय प्राथमिक विद्यालयों की शाला प्रबंधन समितियों को न्यादर्श के रूप में सम्मिलित किया गया। शोध के निष्कर्षों में पाया गया कि शाला प्रबंधन समितियां पठन पाठन की प्रक्रिया को गुणवत्तापूर्ण बनाने और विद्यालयों की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही थीं। विशेषरूप से ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षे़त्रों में उन्हे विद्यालय कार्यकलापों में और अधिक संलग्न करने की आवश्यकता थी। अनुसूचित जनजाति वाले क्षे़त्रों में शाला प्रबंधन समितियां अनुसूचित जाति और सामान्य जनसंख्या वाले क्षे़त्रों की तुलना में अधिक अच्छा कार्य कर रही थीं।