सर्व शिक्षा अभियान में शाला प्रबंधन समिति की जिम्मेदारियां एवम् उत्तरदायित्व: मध्यप्रदेश के संदर्भ में | Original Article
सर्वशिक्षा अभियान का उद्देश्य 6-14 आयु वर्ग के सभी बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना है। वर्तमान में शिक्षा, शिक्षण एवं शैक्षणिक प्रक्रिया को सरल प्रभावी एवं रोचक बनाना शिक्षा का मुख्य उद्देश्य है। प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले इसके लिये शासकीय स्तर पर कई प्रावधान किये गये हैं। वर्ष 2002 में संसद द्वारा पारित 26वां संविधान संशोधन अधिनियम 6-14 वर्ष आयु वर्ग के सभी बच्चों को निःशुल्क व अनिवार्य शिक्षा पाने का मौलिक अधिकार प्रदान करता है। संविधान में निहित शिक्षा के इस अधिकार को लागू करने के लिये निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 बनाया गया है। यह अधिनियम 1 अप्रैल 2010 से लागू हो गया है। मध्यप्रदेश में सरकार ने इस अधिनियम की धारा 38 की उपधारा (1) तथा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए, नियम बनाए हैं और ये नियम 26 मार्च 2011 को राजपत्र में प्रकाशित कर दिये गये हैं। इन नियमों में 20 जुलाई 2011 को आंशिक संशोधन किया गया है औेर अब ये प्रदेश में लागू हो गये हैं। बच्चों की शिक्षा में उनके माता-पिता और समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका है। शाला प्रबंधन में पालकों और समुदाय की सहभागिता को सुनिश्चित करते हुए प्रत्येक शासकीय और अनुदान प्राप्त शाला में शाला प्रबंधन समिति का गठन किया गया है। समुदाय आधारित शाला प्रबंधन समिति शाला में संचालित होने वाली समस्त शैक्षणिक अकादमिक, प्रबंधन व रखरखाव गतिविधियों की देखरेख करने के साथ ही शाला व्यवस्था के सुचारू संचालन के लिए उत्तरदायी है। निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अध्याय 4 ’स्कूल एवं शिक्षकों के उत्तरदायित्व’ के अतंर्गत धारा 21 एवं 22 में शाला प्रबंधन समिति के गठन एवं उसके उत्तरदायित्वों के विषय में वर्णन किया गया है। वर्तमान मे प्रदेश की शासकीय प्राथमिक शालाओं में 83890 तथा माध्यमिक शालाओं में 30341 शाला प्रबंधन समितियां कार्यरत है।