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जन सहभागिता से दलितोद्धार एवं दलित चेतना (पूर्वी राजस्थान के विशेष संदर्भ में: 1920 से 1947) | Original Article

स्मिता मिश्रा in Shodhaytan (RNTUJ-STN) | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

पूर्वी राजस्थान में गांधीयुग में जन-चेतना का उदय तथा जनसहभागिता का ऐतिहासिक दृष्टि से विशिष्ट स्थान है। इन रियासतों में राजशाही थी। ब्रिटिश आगमन के पश्चात् ये राज्य सहायक संधियों के माध्यम से ब्रिटिश सत्ता के प्रत्यक्ष प्रभाव में आ गये। इस प्रकार यहां ‘दोहरी दासतां’ का युग प्रारंभ हुआ। 19वीं शताब्दी में प्रारंभ हुए नीतिगत परिवर्तनों ने 20वीं शताब्दी में औपनिवेशिक शासन के वास्तविक मन्तव्यों को पूर्वी राजस्थान में प्रकट किया। इन मन्तव्यों के प्रकट होने पर पूर्वी राजस्थान में जनसाधारण वर्ग में, जनसंगठनों के माध्यम से व्यापक जन सैलाब का उमड़ना तथा राष्ट्रीय, क्षेत्रीय, अन्तरक्षेत्रीय तथा स्थानीय मुद्दों पर जनसहमति का बनना, जन की भागीदारी तथा जन आक्रोश की अभिव्यक्ति आदि आरम्भ हुई। फलस्वरूप ब्रिटिश शासन के खीलाफ सामाजिक चेतना की अनुगंज सुनाई दी। जन चेतना एवं जन सभागिता से दलितोद्धार एवं दलित चेतना का विकास हुआ।