परशूराम शुक्ल के बाल काव्य में ‘‘सामाजिक एवं सांस्कृतिक चेतना’’ | Original Article
श्री शुक्ल ने आधुनिक युग में भी अपनी संस्कृति तथा सामाजिक परम्पराओं का विशेष ध्यान अपनी कविताओं में रखा है। उनका उद्देश्य बाल काव्य में नई पीढ़ी को मनोरंजन के माध्यम से समाज में महत्वपूर्ण स्थान देना रहा है। उन्होंने बालकों में मनोरंजक कहानियों के माध्यम से सामाजिक आदर्श, परम्पराएं, संस्कृति चेतना जगाने का प्रयास किया है। ऐास प्रयास उनके बाल काव्य में देखने को भी मिलता है। उनकी प्रत्येक कविता में कुछ न कुछ संदेश दिया जाता रहा है।