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भारतीय बैंकों की लाभदायकता का विलेशण (भारत के सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों के मध्य एक तुलनात्मक अध्ययन) | Original Article

डॉ. लक्ष्मीनारायण कोली अमित सिंह in Shodhaytan (RNTUJ-STN) | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

वर्तमान समय में प्रत्येक देष में उत्पादन, उद्योग व्यापार तथा व्यवसाय बैंकिग व्यवस्था पर केन्द्रित होते है। बैंक द्वारा उपलब्ध साधनों के अधिकतम प्रयोग से अधिकतम लाभ कमाने की क्षमता को ही लाभदायकता कहते है। लाभदायकता कहते है। लाभदायकता की स्थिति बिक्री की मात्रा, लागतों की प्रकृति व द्वितीय साधनों के समुचित प्रयांग पर निर्भर करती है। प्रस्तुत शोध पत्र का उद्वेश्य चयनित सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों की लाभदायकता का विश्लेषण और तुलनात्मक अध्ययन करना है। शोध अध्ययन में उन दो-दो सार्वजनिक क्षेत्र एंव निजी क्षेत्र के बैंको का चयन किया गया है जिनकी बाजार पूँजी (ं) 31 मार्च 2013 को 10,000 करोड से कम बाजार पूँजी वाले बैंकों में सबसे अधिक है। जम्मू और कश्मीर बैंक फेडरल बैंक यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक से प्राप्त आँकड़ो का विश्लेषण प्रबन्धकीय तकनीक (अनुपात विश्लेषण) तथा सांख्यिकीय तकनीक (सह- सम्बन्ध विश्लेषण) द्वारा किया गया है। शोध अध्ययन की परिकल्पना की वैधता की जाँच सांख्यिकीय तकनीक टी टेस्ट के आधार पर की गई है। शोध अध्ययन में वर्ष 2010-11 2011-12 और 2012-13 तक (तीन वर्षो) के प्रकाशित समंको का ही प्रयोग किया गया है। शोध में चयनित सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंको की लाभदायकता में उच्च धनात्मक सम्बनध (0.91) पाया गया है। जिसका निष्कर्ष है कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंको की लाभदायकता में उच्च कोटि की निर्भरता या सहसम्बन्ध है।