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महिला उद्यमिता एवं सशक्तिकरण मे सरकार की भूमिका - एक सामान्य अध्ययन | Original Article

मोहम्मद सगीर in Shodhaytan (RNTUJ-STN) | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

 

सारांश

हमारे समाज में नारी को प्राचीन समय से ही देवतुल्य माना गया है । आदिकाल से ही महिलाऐं समाज के निर्माण में प्रमूख भागीदार के रूप में रही हैं । कोई भी देश यश के शिखर पर तब तक नही पहुँच सकता, जब तक उस देश की महिलाऐं पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर न चलें । महिला सशक्तिकरण से महिलाओं में उस शक्ति का प्रवाह होता है, जिससे वह अपने जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती है, समाज मे उनके वास्तविक अधिकार का प्राप्त करने के लिए सक्षम बनाना ही महिला सशक्तिकरण हैं। महिलाओं को समानता एवं सम्मानजनक जीवन प्रदान करने की दिशा में शासन द्वारा सतत् प्रयास किये जा रहे है, वह चाहे विधान द्वारा निर्मित अधिनियम हो या सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाऐं हो । आज की वर्तमान स्थिति के अनुसार प्रमूख समस्या महिलाओं में आत्मनिर्भरता लाना हैं । उन्हें कौशल विकास के माध्यम से प्रशिक्षित कर उनकी कार्यशैली को मजबूत बनाना हैं । ताकि उन्हें नया परिवेश मिल सकें वह आर्थिक रूप से सक्षम हो सके । सरकार की नीतियों का पूर्ण लाभ प्राप्त कर सकें । उन्हें सही जानकारी प्राप्त कराने के उद्देश्य से सरकार ने जो कदम उठाए है, वह तभी सार्थकता का स्तर प्राप्त कर सकें हैं  जब इससे संबंधित सम्पूर्ण जानकारी लाभार्थियों तक पहुँच सकें । सरकार की योजनाओं का दूरगामी लक्ष्य यह है कि योजनाओं के व्यापक संदर्भों की जानकारी देने की प्रतिबद्धता निरंतर बनी रहे। मौजूदा दौर की प्रभावशाली योजनाओं का दोहन उन सभी प्रतिभाशाली महिला उद्यमियों द्वारा किया जाए, जिन्हें इसका लाभ पहुँचना हैं। सरकार महिला उद्यमियों का एक ऐसा अभ्यारण तैयार करना चाहती है, जिससे महिलाओं को उद्यमिता के नये आयाम में गति मिल सकें । उद्यमशीलता के द्वारा उन्हें एक ऐसा प्लेटफार्म मिल सकें जिसके माध्यम से उन्हें समाजिक और आर्थिक रूप से सक्षम बनाया जा सकें।