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मध्य प्रदेश के आर्थिक विकास में पर्यटन की समस्याएँ एवं नियोजन का अध्ययन | Original Article

देवराज वर्मा1 डॉ गजराजसिंह अहिरवार2 in Shodhaytan (RNTUJ-STN) | Multidisciplinary Academic Research

ABSTRACT:

 

सारांश

भारतीय संस्कृति विविधताओं से एवं श्रमण संस्कृति तत्वों पर आधारित है। भारतीय संस्कृति का विकास विभिन्न समूह को, पीढ़ियों व समस्याओं के विकास के बीच लंबे आदान-प्रदान के साथ हुआ है। इसी विकास के मूल में पर्यटन का महत्वपूर्ण स्थान है। विभिन्न स्थानों से आए हुए व्यक्तियों ने एक दूसरे स्थान पर जाकर इस पर्यटन को महत्वपूर्ण बनाया है। पर्यावरण और पर्यटन का घनिष्ठ संबंध है, हमारे चारों ओर विश्व में कई इतने रमणीक स्थान हैं जिन्हें देखने की मनुष्य की आकांक्षा हमेशा से ही बनी रहती है। इन स्थानों पर जाने की मानव की ललक मानव को अपने जीवन में से कुछ महत्वपूर्ण कार्यों के बीच से समय निकालकर कहीं जाने को प्रेरित करती है। पर्यटक एक ऐसी यात्रा है जो मनोरंजन का उद्देश्य होती है। विश्व पर्यटन संगठन के अनुसार पर्यटक वे लोग हैं, जो यात्रा करके अपने सामान्य वातावरण से बाहर के स्थानों में रहने जाते हैं और ज्यादा से ज्यादा मनोरंजन व्यापार आदि इनका महत्व उद्देश्य होता है। पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार ने भारत में प्रभावी रूप से पर्यटन के संवर्धन पहले संचालित की है, उद्योग के विभिन्न घटकों की भागीदारी के लिए विदेशों में अनेक पर्यटक स्थल भी बनाए गए हैं। किसी भी राष्ट्र के विकास के लिए पर्यटन एक महत्वपूर्ण आर्थिक क्रिया है, इसके साथ-साथ विभिन्न राष्ट्रों में सांस्कृतिक परिवर्तन लाना महत्वपूर्ण माध्यम है। सामाजिक गतिविधियां सामाजिक शिक्षा पारस्परिक मेल मिला व्यापारिक संबंध बनाने व राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को शिक्षित करने का यह प्रमुख माध्यम है।